G7 में मोदी का न्योता: कनाडा से रिश्तों में नया दौर
मोनिका
साल 2025 में G7 सम्मेलन की अध्यक्षता कनाडा कर रहा है, और यह कोई हैरानी की बात नहीं है कि कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सम्मेलन में विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया है, भले ही भारत G7 का सदस्य नहीं है।
जब मार्क कार्नी से इस आमंत्रण को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने साफ कहा कि भारत “दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक अहम कड़ी है।” ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री को बुलाना स्वाभाविक था, चाहे अभी एक कानूनी जांच चल रही हो। यह बैठक ऊर्जा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे अहम विषयों पर चर्चा के लिए आयोजित की जा रही है।
हालांकि, भारत और कनाडा के रिश्ते बीते कुछ समय से सहज नहीं रहे हैं। 2023 में कनाडा के उस समय के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर यह आरोप लगाया था कि 18 जून 2023 को कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की भूमिका थी।
भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और जवाब में कहा कि कनाडा खालिस्तानी अलगाववादियों को पनाह दे रहा है, जो भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। इसके बावजूद, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने नरेंद्र मोदी को सम्मेलन में आमंत्रित किया और यह कहा कि “कनाडा में इस मामले की कानूनी प्रक्रिया चल रही है, जो काफी आगे बढ़ चुकी है। ऐसे में इस पर कोई सार्वजनिक टिप्पणी करना फिलहाल उचित नहीं होगा।” गौरतलब है कि इस मामले में कनाडा में रहने वाले चार भारतीय नागरिकों पर आरोप लगाए गए हैं।
कनाडा में सिख समुदाय का इतिहास काफी पुराना है। वे 1800 के दशक के आखिरी वर्षों से वहां काम की तलाश में जाना शुरू हुए थे। उस समय वे मुख्य रूप से लकड़ी की मिलों में, रेलवे ट्रैक बिछाने और जंगलों में काम करते थे। आज, 100 से ज्यादा सालों की स्थायी मौजूदगी के बाद उनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी कनाडा में रह रही है।
वहीं दूसरी ओर, पंजाब में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। युवा बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं या बहुत कम वेतन पर काम कर रहे हैं। किसान कर्ज में डूबे हुए हैं और जल स्तर दिन-ब-दिन गिरता जा रहा है। नशा एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुका है, और कुछ प्रभावशाली परिवार इसमें शामिल होते हुए भी आसानी से बच निकलते हैं।
खालिस्तान की मांग एक बार फिर चर्चा में है, जिससे कई लोग डरे हुए हैं। कुछ हिंदू नेताओं की हत्या को भी खालिस्तानी समर्थकों से जोड़ा गया है। हालांकि, यह समझना जरूरी है कि हर सिख खालिस्तानी नहीं होता — सिख समुदाय का बड़ा हिस्सा मेहनती, शांतिप्रिय और अच्छे जीवन की तलाश में जुटा हुआ है।
इसी कारण कई सिख कनाडा की ओर रुख करते हैं — कोई नौकरी के लिए, कोई पढ़ाई के लिए, तो कुछ लोग अवैध तरीके अपनाकर भी वहां पहुंच जाते हैं। कनाडा में पहले से बसे कुछ लोग भारत में रह रहे लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाकर उन्हें बुला लेते हैं। कुछ ऐसे भी हैं जो भारत में अपराधों में लिप्त होने के बाद वहां जाकर बस जाते हैं और वहीं से भारत विरोधी गतिविधियां चलाते हैं। दूसरी ओर, कनाडा को भी श्रमिकों की ज़रूरत है और वह ऐसे लोगों को स्वीकार करता है, जबकि अमेरिका अब ज़्यादातर योग्य और उच्च कुशल लोगों को ही प्राथमिकता देता है।
इस पूरी स्थिति को देखें तो यह एक तरह का मांग और आपूर्ति का मामला बन चुका है — भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश में काम के इच्छुक लोगों की कोई कमी नहीं है, जबकि कनाडा में जनसंख्या कम है और श्रम की मांग अधिक।
ऐसे में, प्रधानमंत्री मोदी को G7 सम्मेलन में बुलाना सिर्फ एक राजनयिक कदम नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को फिर से सामान्य करने की कोशिश भी माना जा सकता है। इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा, “भारत और कनाडा जैसे जीवंत लोकतंत्र, जो आपसी मानवीय रिश्तों से गहराई से जुड़े हैं, पारस्परिक सम्मान और साझा हितों के आधार पर नई ऊर्जा के साथ मिलकर काम करेंगे। इस सम्मेलन में मिलने की प्रतीक्षा है।”
यह कदम न सिर्फ दो लोकतांत्रिक और आर्थिक रूप से मजबूत देशों के रिश्तों में नया मोड़ ला सकता है, बल्कि एक बार फिर सहयोग और समझदारी की भावना को आगे बढ़ाने की दिशा में भी असरदार साबित हो सकता है।