यमकेश्वर : विगत वर्षों की भांति खरदूणी गांव में धूमधाम से मनाया गया इगास पर्व
यमकेश्वर। विकास खंड यमकेश्वर में एक गांव ऐसा भी है जहां दीवाली नहीं मनाई जाती, अपितु दीवाली से ग्यारह दिन बाद ईगास मनाई जाती है खरदूणी गांव की इगास पूरे क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध है। आस पास के गांव के लोगों की यह इच्छा होती थी कि एक रिश्ता नाता खरदूणी गांव से जरूर जोड़े ताकि इगास मानने के लिए गांव में जा सके विगत कुछ वर्षों से गांव के बुजुर्ग, महिलाएं, एवं युवाओ ने मिलकर इगास को भव्यता एवं दिव्यता से मनाने का बीड़ा उठाया है । सभी ग्रामवासी ने इस बार की इगास को कुछ खास बनाने के लिए एक थीम में प्रवर्तित किया जिसमे एक पेड़ मां के नाम एक पेड़ पितरों के नाम नाम दिया गया।
इस उपलक्ष्य में समस्त ग्रामवासीयों ने गांव में स्वच्छता अभियान चलाया तथा पूरे गांव की सफाई की। खरदूणी गाँव में इगास पर्व के अवसर पर गो सेवा पूजन, भेलो पूजन, मंडान आदि इगास के मुख्य आकर्षण केंद्र रहे। पारम्परिक रूप से बड़े जोश के साथ भेलो खेला गया तथा समस्त क्षेत्र की रक्षा, खुशहाली के लिए माँ भगवती से प्रार्थना की गई ग्रामवासियों में इगास मनाने के लिए जोश चरम पर है तथा उत्तराखंड के इस पुरातन त्यौहार की महिमा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी ग्रामवासी कटिबद्ध है इसमें कोई शक नहीं है कि खरदूणी गांव उत्तराखंड के पुरातन त्यौहार इगास का ध्वजवाहक है।
ग्रामवासी जोगेंद्र राणा ने बताया कि इगास हमारे लिए एक धरोहर है तथा हम इस धरोहर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।